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कहानी--हिन्दी दिवस विशेष

कहानी-- हिंदी है हम हिंदुस्तान हमारा 

,,आजकल लोगों को हिंदी बोलने में शर्म आती है।कुछ दिनों के बाद अपने आप को हिंदुस्तानी बोलने में भी शर्म आएगी ।
क्यों शर्म आती है? क्यों हिंदी में हम बिछड़ते जा रहे हैं?
 हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है।
 हिंदी को हमें गौरवान्वित करना है, ना कि उस पर शर्म करना है ।
क्लास में टीचर बच्चों को समझा रही थी।

उन्होंने आगे कहा
... कहने को तो हम बड़े जोर शोर से 14 सितंबर हिंदी दिवस मनाते हैं, लेकिन कुछ दिनों के बाद सब कुछ ढेर हो जाता है ।
हम दिखावे में क्यों चले जा रहे हैं।
 हमारा अंतर्मन खोखला क्यों होता जा रहा है? कहां पर हमने गलती की है..कहां पर हम कमजोर हैं।
 यह हमें अपने अंदर झांकना होगा तभी हम अपनी गलती पकड़ सकते हैं और उसे सुधार सकते हैं। यदि हमने ऐसा नहीं किया तो फिर हम स्वयं उपहास के पात्र हो जाएंगे।
हिंदी एक महान भाषा है साहित्य का अनमोल विधा।
हमारे पूर्वजों ने हमें यह साहित्यिक उपहार दिया है इसे हमें यूं नहीं गंवाना।
 इसे हमें मजबूत बनाना है ,इसलिए बच्चों हम आप मिलकर कुछ नया सोचते हैं। नया करते हैं ।
हमने बहुत पढ़ाई पढ़ ली अब कुछ प्रैक्टिकल करते हैं ।
सभी बच्चों ने अपनी टीचर अलका जी को के लिए तालियां बजाई और सब ने कहा 
,,जी हम सब तैयार हैं।,,
 अलका जी अब रिटायरमेंट लेने वाली थी ।
वह कॉलेज के हिंदी विभाग की विभागाध्यक्ष थीं।

क्लास के बच्चों ने कहा
,, मैम ,आप हमें बताइए हम क्या करें?,,

 अलका जी--,, बच्चों हम और आप तो हिंदी के विद्यार्थी हैं लेकिन हमारे आसपास ,आपके फ्रेंड सर्कल, आपके रिलेटिव हिंदी के बारे में उतना नहीं जानते होंगे ।
हम सब के पास मोबाइल है। हम अब से खुद सीखेंगे और अपने रिश्तेदारों ,दोस्तों और आसपास के सभी लोगों को हिंदी के प्रति रुझान पैदा करेंगे।
 
 हम व्हाट्सएप ग्रुप बनाएंगे। हम उसमें कहानी, गीत ,कविता, ग़ज़ल सब कुछ लिखना सीखेंगे और एक दूसरे के साथ प्रचार करेंगे ।

सभी बच्चों को यह आइडिया बड़ा ही अच्छा लगा।

 उन्होंने कहा
,, मैम, यह तो बड़ा ही अच्छा आईडिया है ।,,

अलका जी की आंखों में आंसू आ गए ।
उन्होंने कहा
,, हिंदी को मैं अपने दम पर जितना हो सकेगा मैं उसे स्थापित करूंगी घर घर में पहुंचाऊंगी।
 हर कोई हिंदी के कन कन के बारे में जानेगा ।

 जितना हो सकता है मैं वह करूंगी।
 बच्चों और मेरी जिंदगी का अंतिम प्रहर आ गया है।
 तुम सब मुझे रिटायरमेंट का यह तोहफा देख सकते हैं ।
यदि तुम अपने साथ 10 लोगों को जोड़ दिए तो भी यह अपने आप में बहुत ही अच्छा रहेगा।

 सभी बच्चों ने तालियां बजाया।

आजकल हर किसी के पास मोबाइल फोन होता है।

 अलका जी ने घर जाकर ने मोबाइल पर 
-हिंदी है हम हिंदुस्तान हमारा-
 इस नाम से एक साहित्यिक ग्रुप बनाया ।उन्होंने इस ग्रुप में हिंदी में के बारे में बताना शुरू किया।

 कविता क्या होता है, छंद क्या है, गजल क्या है?

 लोग जुड़ते चले गए जुड़ते चले गए।
 कुछ हफ्तों ,महीनों में अलका जी काफी प्रसिद्ध हो गए ।
जितना नाम उन्होंने हिंदी विभाग में पढ़ा कर नहीं किया था उससे कहीं दुगना उनका नाम प्रसिद्ध हो गया था।
 अगले साल 14 सितंबर हिंदी दिवस के दिन मुख्यमंत्री जी ने विशेष रुप से अलका जी को बुलाकर सम्मानित किया और कहा 
,,आप जैसे सम्मानित महिला यदि हर घर में हो तो वह दिन दूर नहीं कि लोग हिंदी बोलने में गर्व महसूस करेंगे।
 आप जैसी महिलाओं को सलाम है।
 हिंदुस्तान की धरती आप जैसे लोगों को पैदा करें यही मैं  भारत माता से प्रार्थना करता हूं।,,
 पूरा हॉल तालियों से भर गया।

***
सीमा..✍️🌷
©®
#लेखनी कहानी प्रतियोगिता

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11 Comments

Mithi . S

18-Sep-2022 04:56 PM

Very nice 👍

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shweta soni

16-Sep-2022 11:19 PM

बहुत अच्छी रचना 👌👌

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Pallavi

15-Sep-2022 09:07 PM

Nice post 👍

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